भारत-यूरोपीय संघ FTA 2025: व्यापार समझौते की दिशा में प्रगति
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भारत और यूरोपीय संघ ने 2025 के अंत तक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को अंतिम रूप देने के साझा संकल्प की पुष्टि की।
वार्ता में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं पर संतुलित ध्यान देने और नियामक सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।
यह समझौता डिजिटल व्यापार, नवाचार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करते हुए भारत को ‘विश्व मित्र’ के रूप में स्थापित करेगा।
उच्चस्तरीय वार्ता: साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और यूरोपीय व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा आयुक्त श्री मारोस शेफकोविक ने एक दूरदर्शी और रणनीतिक संवाद के माध्यम से भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) को 2025 के अंत तक पूर्ण करने के संकल्प की पुनः पुष्टि की। यह चर्चा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की उस नीतिगत दिशा से प्रेरित थी, जो फरवरी 2025 में नई दिल्ली में यूरोपीय आयुक्तों की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान तय की गई थी।
व्यापार सहयोग में रणनीतिक गहराई
यह सहभागिता दर्शाती है कि भारत और यूरोपीय संघ संतुलित, निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार साझेदारी की दिशा में गंभीर हैं। बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने उन प्रगति बिंदुओं को रेखांकित किया, जो अब तक हुई वार्ताओं में सामने आए हैं। साथ ही, आगामी 12-16 मई 2025 को नई दिल्ली में होने वाले अगले वार्ता दौर की तैयारी और महत्व पर बल दिया गया।
टैरिफ और गैर-टैरिफ मुद्दों पर समान ध्यान
भारत ने ज़ोर दिया कि सार्थक प्रगति के लिए केवल टैरिफ पर ही नहीं, बल्कि गैर-टैरिफ बाधाओं (NTB) पर भी समान ध्यान देना ज़रूरी है। भारत का रुख स्पष्ट था कि नियामक ढांचा समावेशी, आनुपातिक और व्यापार-अवरोधक न हो। इससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
डिजिटल और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा
भारत-ईयू एफटीए का उद्देश्य केवल व्यापारिक सरलीकरण नहीं, बल्कि डिजिटल परिवर्तन और विविध व सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी बढ़ावा देना है। यह समझौता वैश्विक व्यापार की उभरती चुनौतियों का जवाब बनेगा, जिससे भारत और यूरोप दोनों को नवाचार, निवेश और प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।
भविष्य की साझेदारी का स्तंभ
दोनों पक्षों ने यह भी स्वीकार किया कि यह एफटीए व्यापक भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी का एक परिवर्तनकारी स्तंभ होगा। इससे बाजार पहुंच, नियामक सहयोग, और मानव संसाधन की गतिशीलता को मजबूती मिलेगी।
भारत: ‘विश्व मित्र’ की भूमिका में
‘विश्व मित्र’ यानी दुनिया का साझेदार बनने की भारत की नीति के अनुरूप यह वार्ता 2047 के विकास लक्ष्यों की दिशा में एक ठोस कदम है। जैसे-जैसे भारत अन्य देशों के साथ एफटीए को आगे बढ़ा रहा है, यह पहल राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक दृष्टिकोण दोनों को परिलक्षित करती है।
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